क्या नीतीश कुमार पका रहे कोई सियासी खिचड़ी ?

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बिहार में बड़े पैमाने पर नौकरी बांटा जा रहा है। राज्य के अंदर लगातार शिक्षकों को बड़ी खुशी दी जा रही है। जो सबसे अहम और अलग बात निकल कर सामने आ रही है। नियुक्ति वितरण समारोह को लेकर सरकार के तरफ से जो प्रचार प्रसार किए गए हैं और उसमें जो स्लोगन लिखा गया है वह अपने आप में एक बड़ा संकेत दे रहा है।

बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण में सफल हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा। इस नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर राज्य सरकार के तरफ से जो विज्ञापन लगाए गए हैं उसमें जो स्लोगन लिखा गया है वह है – ‘ रोजगार मतलब नीतीश सरकार’ साथ ही सीएम नीतीश की एक बड़ी सी तस्वीर लगाई गई है इसके अलावा किसी अन्य नेता की कोई भी तस्वीर नहीं लगाई गई है।  इसके बाद अब यह कहां जाना शुरू हो गया है कि चाचा ने भतीजे के एजेंडा को हथिया लिया है।

बिहार सरकार के तरफ जो सूचना जारी की गई है उसमें एक बड़ी सी तस्वीर सीएम नीतीश कुमार की लगाई गई है साथ में लिखा गया है कि – रोजगार की बहार, शिक्षक नियुक्ति में इतिहास रचता बिहार। दूसरी लाइन जो लिखी गई है उसमें लिखा गया है रोजगार का मतलब नीतीश कुमार। साथ ही यह भी बताया गया है कि आत्मनिर्भर बिहार के साथ निश्चय दो के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र में रोजगार के 20 लाख से ज्यादा नए अवसर का सृजन सरकार की प्राथमिकता है। पूरे प्रचार में अगर तेजस्वी यादव के नाम की चर्चा करें तो महत्व एक जगह छोटे से कॉलम में तेजस्वी के नाम की चर्चा की गई है।

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अब चर्चा तेज है कि, क्या जो बातें अब तक तेजस्वी यादव के तरफ से कही जा रही थी उसको नीतीश कुमार ने अपने पक्ष में अपना लिया है। क्या नीतीश कुमार ने तेजस्वी के एजेंडे को हथिया लिया है ? क्या तेजस्वी ने पहले कलम से जो नौकरी देने का वायदा किया था उस पर भले वो अभी सोच विचार कर रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार ने बाजी मार लिया है ? क्या नीतिश कुमार ने चुनाव से पहले तेजस्वी यादव को बड़ा गच्चा दे दिया है।

यह बातें देखने में आ रही है की राज्य के अंदर जितने भी कार्यक्रम हो रहे हैं उसमें नीतीश कुमार सिर्फ और सिर्फ खुद के बारे में लोगों को जानकारी देते हुए नजर आ रहे हैं। सूबे के अंदर जो राजनीतिक माहौल है उसमें यह बातें कुछ नया संकेत देता हुआ नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि नीतीश खुल कर भले ही कुछ न बोलते हो लेकिन कोई न कोई नई सियासी खिचड़ी पक रही है।

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