मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल ही विधानसभा के अंदर से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के टाइम में बदलाव करने का निर्णय लिया था। उन्होंने विधानसभा में हंगामे के बाद यह घोषणा की। सरकारी स्कूल सुबह 9 बजे से शाम पांच बजे तक खोलने के पाठक के आदेश से शिक्षकों में रोष था। इसे लेकर ही विधायकों ने अपनी बात सदन में रखी। उसके बाद देर शाम इसको लेकर लेटर भी जारी भी कर दिया गया है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें पाठक को यह कहते हुए दिखाया गया है कि भले ही राज्य के सरकारी स्कूल में पठन-पाठन का कार्य सुबह 10:00 बजे से होगा लेकिन सभी शिक्षकों को विद्यालय 9:00 बजे ही आना होगा। घंटी 10:00 बजे ही लगेगी लेकिन बाकी के कार्य के लिए उन्हें सुबह 9:00 बजे स्कूल आना होगा और देर शाम मिशन दक्ष के लिए भी उन्हें रुकना होगा। पाठक के इस आदेश को लेकर विपक्ष के नेता ने फिर से सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
बिहार की विपक्षी दल राजद के विधायक ने मामले को लेकर कहा कि जो अधिकारी मंत्रिमंडल की भी बात नहीं मानता है वैसे अधिकारी को कान पड़कर बाहर कर देना चाहिए। सदन में कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मैं आदेश दिया था नहीं माना आज ही दिखवाता हूं। उन्होंने घोषणा किया कि आज से ही नया टाइम टेबल लागू करवा दूंगा। लेकिन हकीकत है कि उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। के के पाठक जैसे पदाधिकारी को कान पड़कर बाहर कर देना चाहिए।
राजद विधायक ने कहा कि जब अधिकारी सरकार का बात नहीं मानते हैं मंत्रिमंडल की बात को नहीं सुनते हैं तो ऐसे पदाधिकारी पर निश्चित रूप से एक्शन होना चाहिए। यह हमारे शिक्षकों का हित की अनदेखी है और मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है कि- जिस तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश हुआ लेकिन उसके बावजूद किस तरीके के चिट्ठी निकली है मुख्यमंत्री सिर्फ मुखौटा है।