महिला संगठनों ने की रिमांड होम मामले की उच्च न्यायालय के न्यायधीश से जांच कराने की मांग

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महिला संगठनों ने की रिमांड होम मामले की उच्च न्यायालय के न्यायधीश से जांच कराने की मांग
पटना—महिला संगठनों की संयुक्त बैठक हुई. बैठक में गायघाट रिमांड होम से मुक्त हुई महिला के बयान के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया.कल शाम को महिला संगठनों की प्रतिनिधियों को उक्त महिला ने विस्तार से अपनी बातें बताई. कल ही एक अन्य लड़की के भी बयान की जानकारी मिली है.पटना हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतःसंज्ञान लिया है.महिला संगठनों की ओर से हम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं । और सरकार से मांग करते हैं कि
समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए।गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाई कोर्ट के सिटिंग जज कीअध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए. रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है.मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है.इसके लिए गृह के भीतर स्कूल, मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए.आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कहीं मुक्कमल नहीं है. इसकी व्यवस्था की जाए.सुधार गृह में जांच-पड़ताल और संवासिनो से समय-समय पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए.महिला संगठनों ,मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें,सुधार गृह में जा सकें.इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए.
बैठक में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) की और मीना तिवारी, शशि यादव, अफ्शां जबीं, बिहार महिला समाज की निवेदिता, रिंकू, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की रामपरी, रश्मि श्रीवास्तव, ए डब्ल्यू एस एफ की आसमां खान, ए आइ एम एस एस की अनामिका, कोरस की समता राय आदि शामिल हुईं.महिला संगठनों की तरफ से हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह तत्काल कदम उठाए.ऐसा नहीं होने पर 9 फरवरी को प्रतिवाद कार्यक्रम किया जाएगा.

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