बिहार में स्वास्थ्य विभाग की कमान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हाथों में हैं। इनके तरफ से बड़े – बड़े दावे किए जाते हैं और व्यवस्था में सुधार को लेकर की योजनाएं भी बनाई जाती है। लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। राज्य के अंदर हर दिन कहीं न कहीं से इसकी बदहाली की खबरें निकल कर सामने आती रहती है। एक ताजा मामला मुंगेर सदर अस्पताल से जुड़ा हुआ है। जहां मरीजों को सदर अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में पहुंचाया जा रहा है।
सदर अस्पताल पर भर्ती मरीजों को प्राइवेट अस्पताल भेजने का आरोप लगा है। यहां निजी क्लीनिक में पैसों के खर्च होने के बाद मरीज वापस इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह मामला सामने आने के बाद डीएस ने जांच की बात की है। यहां मंगलवार को आग की चपेट में आने से झुलसी चंडीस्थान टीकारामपुर धौताल महतो टोला निवासी पप्पू महतो की पत्नी स्मिता कुमारी को सदर अस्पताल से बिना परिजनों के अनुमति का एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां 35 हजार खर्च होने के बाद भी जब उसकी स्थिति नहीं सुधरी तो परिजन उक्त निजीअस्पताल से मरीज को सदर अस्पताल लाया और खूब हंगामा किया।
पीड़ित परिजनों ने बताया की मरीज की रिश्ते की चाची सुगिया देवी ने बताया कि 5 दिसंबर को ऑपरेशन से स्मिता को बच्चा हुआ है। मंगलवार की दोपहर आग तापने के क्रम के वह झुलस गयी। जिसे लेकर हमलोग सदर अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टर ने देखा और एक सिस्टर उसका ड्रेसिंग करने लगी। तभी हम अपने जिला परिषद सदस्य संजय सिंह का फोन नंबर खोज कर फोन करने के लिए अस्पताल से बाहर निकल गये। जब हम लौट कर अस्पताल आये तो मेरा मरीज कहीं नहीं मिला।
इसके बाद काफी खोज-बीन के बाद पता चला कि हमारे मरीज को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करावा दिया है। मंगलवार की रात वहां पैसा जमा हमलोगों से कराया गया। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। बुधवार की सुबह जब हमने कहा कि हमारे मरीज को छोड़ दिजिए तो अस्पताल वालों ने दवा व अन्य खर्च जोड़कर 21 हजार फिर जमा करने को कहा।
मंगलवार की रात से बुधवार की सुबह तक कुल 35 हजार प्राइवेट अस्पताल वाले ने हमलोगों से ले लिया। प्राइवेट अस्पताल में पैसा जमा कर स्मिता को उसके परिजन फिर से बुधवार की दोपहर सदर अस्पताल ले कर पहुंची और हंगामा शुरू कर दिया। उक्त डॉक्टर पर प्राइवेट नर्सिंग होम में जबरदस्ती भर्ती कराने का आरोप लगाने लगी। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी हुई तो मरीज के परिजनों को समझा-बुझा कर शांत कराया और पुन: सदर अस्पताल के वार्ड में मरीज को भर्ती कर इलाज शुरू किया।
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमण कुमार ने इस मामले में बताया कि कल थोड़ी बहुत भनक मिली थी कि हमारे किसी चकित्सक द्वारा एक महिला मरीज को बाहर रेफर किया गया हैृ। पूरी जानकारी मिली तो मैं शर्मिदगी भी महसूस कर रहा हूं। यह गलत है और जिस डॉक्टर ने ऐसा किया वह पूरी तरह से गलत है। यह उनके आचरण के विरुद्ध है। इसकी जांच करायी जायेंगी और दोषियों पर कार्रवाई की जायेंगी।