चैत्र नवरात्रिका नौ दिवसीय पावन पर्व कल यानी 13 अप्रैल 2021 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है. मंगलवार से लेकर अगले नौ दिन तक पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गाकी पूजा अर्चना की जाएगी और फिर रामनवमी
इस बार चैत्र नवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस बार चार रवियोग एक सर्वार्थ अमृत योग सिद्धि योग एकस सिद्धि योग तथा एक सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. ऐसे शुभ संयोग में नवरात्रि पर देवी उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. यह नवरात्रि धन और धर्म की वृद्धि के लिए खास होगा. सनातनन धर्म में वासंतिक नवरात्रि का बड़ा महत्व है. कर्मकांड और ज्योतिर्विद कृष्णा उपाध्याय ने बताया कि 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वासंतिक नवरात्रि अश्विनी नक्षत्र एवं सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में आरंभ होकर 22 अप्रैल गुरुवार को मघा नक्षत्र व सिद्धि योग में विजयादशमी के साथ संपन्न होगा.
मां के इस आगमन से राजनीति के क्षेत्र में उथल पुथल होंगे इसके साथ ही माता की विदाई नर वाहन पर होगी. पूरे नवरात्रि माता की कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तसती, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्र का जाप, भगवती पुराण आदि का पाठ करे से सुख व समृद्धि की प्राप्ति होगी. नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व होता है इसलिए इसकी स्थापना सही और उचित मुहूर्त में करनी चाहिए ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है.
13 अप्रैल 2021. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सामान्य मुहूर्त सुबह 05:43 बजे से 08:43 बजे तक अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:36 बजे से 12:24 बजे तक गुली और अमृत मुहूर्त दोपहर 11:50 बजे से 01:25 बजे तक है.
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापन का महत्व अति शुभ फलदायक है क्योंकि कलश में ही ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र नवग्रहों, सभी नदियों, सागर, सरोवरों, सातों द्वीपों, षोडश मातृकाओं, चौसठ योगिनियों सहित सभी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए विधिपूर्वक कलश पूजन से सभी देवी देवताओं का पूजन हो जाता है.