सांस कार्यक्रम से बच्चों को मिलेगी निमोनिया से मुक्ति • स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को किया जा रहा सुदृढ़ • निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी आरा/ 10 दिसंबर- सर्दी के मौसम के आगमन से शिशुओं में निमोनिया संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. निमोनिया से बचाव को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। पीसीवी के टीके की उलब्धता यह बताता है निमोनिया के कारण शिशुओं में होने वाले मृत्यु को रोकने के लिए विभाग कितना गंभीर है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भी सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गयी है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है। निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया निमोनिया से ग्रसित बच्चों का ससमय पहचान और इलाज महत्वपूर्ण है। जिससे बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सके। सरकारी कार्यक्रमों एवं प्रयासों के अलावा शिशुओं को निमोनिया जैसे गंभीर रोग से बचाने के लिए सामुदायिक जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। निमोनिया छींकने या खांसने से फ़ैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है। ज्यादातर निमोनिया से बच्चों के ग्रसित होने की संभावना सर्दियों के मौसम में अधिक होती है. यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना ,कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव : निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है जो जानलेवा भी हो सकता है। सुखद बात यह है की इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएँ। पीसीवी या न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीकन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

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• निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी
आरा/ 10 दिसंबर- सर्दी के मौसम के आगमन से शिशुओं में निमोनिया संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. निमोनिया से बचाव को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। पीसीवी के टीके की उलब्धता यह बताता है निमोनिया के कारण शिशुओं में होने वाले मृत्यु को रोकने के लिए विभाग कितना गंभीर है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भी सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गयी है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया निमोनिया से ग्रसित बच्चों का ससमय पहचान और इलाज महत्वपूर्ण है। जिससे बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सके। सरकारी कार्यक्रमों एवं प्रयासों के अलावा शिशुओं को निमोनिया जैसे गंभीर रोग से बचाने के लिए सामुदायिक जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। निमोनिया छींकने या खांसने से फ़ैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है। ज्यादातर निमोनिया से बच्चों के ग्रसित होने की संभावना सर्दियों के मौसम में अधिक होती है. यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना ,कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव :
निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है जो जानलेवा भी हो सकता है। सुखद बात यह है की इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएँ। पीसीवी या न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीकन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

 

• निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी
आरा/ 10 दिसंबर- सर्दी के मौसम के आगमन से शिशुओं में निमोनिया संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. निमोनिया से बचाव को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। पीसीवी के टीके की उलब्धता यह बताता है निमोनिया के कारण शिशुओं में होने वाले मृत्यु को रोकने के लिए विभाग कितना गंभीर है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भी सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गयी है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
निमोनिया के लक्षणों की ससमय पहचान जरुरी:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया निमोनिया से ग्रसित बच्चों का ससमय पहचान और इलाज महत्वपूर्ण है। जिससे बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सके। सरकारी कार्यक्रमों एवं प्रयासों के अलावा शिशुओं को निमोनिया जैसे गंभीर रोग से बचाने के लिए सामुदायिक जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। निमोनिया छींकने या खांसने से फ़ैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है। ज्यादातर निमोनिया से बच्चों के ग्रसित होने की संभावना सर्दियों के मौसम में अधिक होती है. यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना ,कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव :
निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है जो जानलेवा भी हो सकता है। सुखद बात यह है की इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएँ। पीसीवी या न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीकन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

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