जब बजट की पूरी राशि खर्च नहीं हो रही है तो अनुपूरक बजट क्यों,नीतीश सरकार पर उठते सवाल

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 बिहार में बजट का 78 फीसदी पैसा ही खर्च हो पा रहा है। बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की विनियोग लेखा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में है कि जब बजट की पूरी राशि खर्च नहीं हो रही है तो अनुपूरक बजट क्यों लिया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान अनुपूरक बजट को जोड़ते हुए कुल 301686 करोड़ व्यय का प्रावधान था। उसमें से मात्र 77.95 फीसदी राशि (235176 करोड़) ही व्यय हुआ।

इस वर्ष के बजट में मूल प्रावधान 237691 करोड़ व्यय करने का था। व्यय उस स्तर तक पहुंचा ही नहीं, फिर भी 63995 करोड़ के अनुपूरक अनुदान का प्रावधान कर लिया गया। पिछले पांच वर्षों में वास्तविक व्यय मूल प्रावधान के 65.49 से 77.95 फीसदी के बीच ही रहा। खर्च के मामले में सभी विभागों की एक सी स्थिति है।

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जैसे में कृषि विभाग के लिए 3758 करोड़ व्यय का प्रावधान था लेकिन वास्तविक व्यय 2073 करोड़ ही हुआ। 704 करोड़ अनुपूरक अनुदान की उपयोगिता ही नहीं बची। रिपोर्ट में बजट प्रबंधन की कमियों और पीडी खाता की राशि मामले पर सरकार को ध्यान दिलाया गया है। कैग ने चेताया है कि राज्य सरकार की बकाया गारंटी राशि 25 हजार करोड़ से अधिक हो गई है, लेकिन न तो गारंटी मोचन निधि का गठन किया है और न ही गारंटी की अधिकतम सीमा निर्धारण के लिए किसी तरह के नियम बनाए गए हैं। यह सरकार पर वित्तीय भार बढ़ा सकता है।

कैग ने अपने रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दिये गये ऋण और उसके वसूली पर भी सवाल उठाया है। पिछले कई सालों से 19811 करोड़ ऋणों के मूलधन और ब्याज की वसूली नहीं की गयी है। कैग ने बजट प्रावधानों के वर्णन में विसंगति और गलत वर्गीकरण की तरफ भी इशारा किया है। वर्ष 2022-23 के लिये राज्य सरकार के बजट दस्तावेजों में वेतन, लघु कार्य और व्यवसायिक और विशेष सेवाओं के संबंध में व्यय का सही वर्गीकरण नहीं दर्शाया गया है।

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