बिहार सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख, मुखिया और वार्ड सदस्यों के अधिकारों में कटौती

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बिहार की सरकार ने पंचायत स्तर पर विकास कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बड़ा फैसला लिया है। पंचायत की विकाय योजनाओं में मिल रही गड़बड़ी की शिकायतों के बाद सरकार ने मुखिया और वार्ड सदस्यों के अधिकारों में कटौती कर दी है। अब बिना टेंडर पंचायतों में किसी तरह के विकास कार्य नहीं किए जाएंगे।

बिहार में पंचायत स्तर पर कराए जाने वाले विकास कार्यों को पहले मुखिया और वार्ड सदस्य अपने स्तर से काम कराते थे। विकास कार्यों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगातार लग रहे थे। लगातार शिकायतों के बाद आखिरकार नीतीश सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त मुखिया और वार्ड सदस्यों के पर को कतर दिया है और उनके अधिकारों में बड़ी कटौती कर दी है।

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नीतीश सरकार ने अब पंचायतों में होने वाले किसी भी विकास कार्य के लिए टेंडर जरूरी कर दिया है। बिना टेंडर की प्रक्रिया पूरी किए मुखिया और वार्ड सदस्य कोई भी विकास का काम अपने स्तर से नहीं करा सकेंगे। सरकार ने मुखिया, वार्ड सदस्य के अधिकारों में कटौती कर दी है। बिहार सरकार ने पंचायत निर्माण कार्य मैनुअल बनाई है, जिसे कैबिनेट ने मंजूर कर लिया है। मुखिया या वार्ड सदस्य योजनाओं के कार्यान्वयन में मनमानी नहीं कर सकेंगे।

साथ ही सरकार ने भवन निर्माण, पंचायती राज, वित्त विभाग, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, वाणिज्य कर विभाग, परिवहन विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, जल संसाधन विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, कृषि विभाग, खेल विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, भवन निर्माण विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, सूचना एवं जन संपर्क, अल्पसंख्यक कल्याण और शिक्षा विभाग से जुड़े कुल 27 अहम प्रस्तावों पर अपनी स्वीकृति दे दी है।

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