बढ़ती ठंड व कोरोना संक्रमण को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को रखना होगा खानपान का विशेष ध्यान

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बढ़ती ठंड व कोरोना संक्रमण को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को रखना होगा खानपान का विशेष ध्यान

 

• संक्रमण के जोखिम को कम करती है मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता

• कुपोषण के कारण शिशुओं व बच्चों का शारीरिक विकास होता है प्रभावित

आरा, 17 जनवरी | बढ़ती ठंड के साथ एकबार फिर से कोरोना वायरस का प्रसार भी तेज हो चला है। ऐसे में सभी को विशेष रूप से सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। विशेषकर इस कोविड 19 वैश्विक महामारी के दौरान शिशु व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। ऐसे समय में पोषण एक महत्वपूर्ण विषय है। कोविड संक्रमण के समय में कुपोषण का स्तर नहीं बढ़े इसके लिए उनका खानपान बेहतर होना चाहिए। पौष्टिक आहार का गहरा संबंध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से है। मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण के जोखिम को कम करती है। यह कई प्रकार की संक्रामक व गैरसंक्रामक बीमारियों से बचाव करता है।

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कोरोना काल में बढ़ जाती है पोषण की महत्ता :

आईसीडीएस की डीपीओ माला कुमारी ने कहा, अमूमन गर्भवतियों को अपने खानपान और पोषण का ध्यान रखना ही पड़ता है। लेकिन, कोरोना काल में इसकी महत्ता बढ़ जाती है। ऐसा इसलिये कहा जाता है क्योंकि महिला व उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कुपोषण का लंबा प्रभाव पड़ता है। बच्चों की शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए गर्भवती महिला का खानपान महत्वपूर्ण है। कुपोषित गर्भवती महिलाओं की संतान भी कुपोषित होती है। कुपोषण के कारण मातृ व शिशु मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है। वे बौना, कम वजन या मोेटापा आदि से ग्रसित होते हैं। कुपोषण के कारण संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओ अथवा भविष्य में मां बनने वाली महिलाओं व किशोरियों व धात्री महिलाओं के लिए ऐसे समय में विशेषतौर पर पौष्टिक खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है। वहीं धात्री महिलाओं के लिए  शिशु के नियमित स्तनपान और अनुपूरक आहार दिया जाना महत्वपूर्ण है।

स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार भी जरूरी :

शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए नियमित रूप से धात्री महिलाएं स्तनपान करायें। शून्य से दो साल तक के शिशुओं के लिए नियमित स्तनपान जरूरी है। छह माह से अधिक उम्र के शिशुओं के लिए नियमित स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार भी जरूरी है। शिशुओं के अनुपूरक आहार में दलिया, सूजी का हलवा, दाल, हरी पत्तेदार सब्जी, मौसमी फल, अंडा, मांस आदि शामिल करें। इसके साथ ही दो साल की उम्रं से अधिक बच्चों के लिए समय पर सही खानपान जरूरी है। बच्चों को बाहरी व जंक फूड आदि की आदत नहीं लगायें। घर का ताजा भोजन ही खिलायें।

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